बिखरने का इरादा कर रहे हैं।
अभी ख़ुद को कुशादा कर रहे हैं।
अभी दीवानगी की इब्तेदा है ,
जुनूं हद से ज़ियादा कर रहे हैं।
सभी कुछ हो रहा है बेइरादा ,
सभी कुछ बेइरादा कर रहे हैं।
छुपाना चाहते हैं कुछ यक़ीनन ,
वो कुछ बातें ज़ियादा कर रहे हैं।
किसी दिन राय भी ज़ाहिर करेंगे ,
अभी तो इस्तेफ़ादा कर रहे हैं।
हमारी दोस्ती मुमकिन नहीं है,
सो हम रस्मन मुआदा कर रहे हैं।
सो हम रस्मन मुआदा कर रहे हैं।
हमें कहनी है रंगों की कहानी ,
सो हम लहजे को सादा कर रहे हैं।
मनीष शुक्ला
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