Tuesday, 20 June 2017



एक तो इश्क़ ख़ुद मुसीबत है।
उसपे हमको वफ़ा की आदत है।

अब भी ख्वाबों में उसका आ जाना ,
जाने किस बात की अलामत है।

आपके तेवरों से है ज़ाहिर ,
आपकी आपसे अदावत है।

आह भरते हैं चीख़ लेते हैं,
आजकल दर्द की इनायत है।

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