किसी के इश्क़ में बरबाद होना।
हमें आया नहीं फ़रहाद होना।
मुहब्बत का सबक़ आसां लगे है ,
बहुत मुश्किल है लेकिन याद होना।
बहुत प्यारी है आज़ादी की चाहत ,
मगर अच्छा नहीं आज़ाद होना।
हमें देखो हमारे आंसुओं में ,
अजब सा है हमारा शाद होना।
वहां भी फूटकर रोना पड़ा है ,
जहाँ मुमकिन न था नाशाद होना।
कई बातें भुला देना ही बेहतर ,
ज़रूरी तो नहीं सब याद होना।
कोई तामीर की सूरत तो निकले ,
हमें मंज़ूर है बुनियाद होना।
मनीष शुक्ला
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