किसी के इश्क़ में बर्बाद होना,
हमें आया नहीं फ़रहाद होना।
मुहब्बत का सबक़ आसां लगे है,
बहुत मुश्किल है लेकिन याद होना।
बहुत प्यारी है आज़ादी की चाहत,
मगर अच्छा नहीं आज़ाद होना।
हमें अश्कों से निस्बत हो गयी है,
नहीं मुमकिन हमारा शाद होना।
वहां भी फूट कर रोना पड़ा है,
जहाँ मुमकिन न था नाशाद होना।
कई बातें भुला देना ही बेहतर,
ज़रूरी तो नहीं सब याद होना .
सहारे की ज़रुरत है हमें भी,
मगर मिन्नतकश ए इमदाद होना?
कोई तामीर की सूरत तो निकले,
हमें मंज़ूर है बुनियाद होना।
बनाता है सफ़र को खूबसूरत ,
मुसाफ़त की कोई मीयाद होना।
मनीष शुक्ल
हमें आया नहीं फ़रहाद होना।
मुहब्बत का सबक़ आसां लगे है,
बहुत मुश्किल है लेकिन याद होना।
बहुत प्यारी है आज़ादी की चाहत,
मगर अच्छा नहीं आज़ाद होना।
हमें अश्कों से निस्बत हो गयी है,
नहीं मुमकिन हमारा शाद होना।
वहां भी फूट कर रोना पड़ा है,
जहाँ मुमकिन न था नाशाद होना।
कई बातें भुला देना ही बेहतर,
ज़रूरी तो नहीं सब याद होना .
सहारे की ज़रुरत है हमें भी,
मगर मिन्नतकश ए इमदाद होना?
कोई तामीर की सूरत तो निकले,
हमें मंज़ूर है बुनियाद होना।
बनाता है सफ़र को खूबसूरत ,
मुसाफ़त की कोई मीयाद होना।
मनीष शुक्ल
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