गुज़ारी उम्र पियाला ओ मय बनाने में।
फिर आग हमने लगा दी शराबख़ाने में.
ख़ुद आपने आप को हम देख ही नहीं पाए ,
हमारा ध्यान लगा ही रहा ज़माने में।
सब अपने आप को ढूँढा किये बहर सूरत ,
हम अपना आप सुनाते रहे फ़साने में।
तुम्हारी याद सताएगी उम्र भर हमको ,
ज़रा सा वक़्त लगेगा तुम्हें भुलाने में।
यूँ एक पल में ज़मींदोज़ मत करो हमको ,
हज़ारों साल लगे हैं हमें बसाने में।
ख़ुद अपने आप के कितना क़रीब आ पहुंचे ,
हम अपने आप को तेरे क़रीब लाने में।
हमारी तिशनादहानी का कारनामा है ,
लगी हैं ओस की बूँदें नदी बनाने में।
बहुत तवील था क़िस्सा गुनाह ए अव्वल का ,
सो एक उम्र लगा दी तुम्हें सुनाने में।
हमारी बात में कुछ दिलफ़िगार शिकवे हैं,
वगरना उज्र नहीं था तुम्हें बताने में।
सजाने। बिताने। बताने