वक़्त ए रुख़सत हिसाब कर देगी।
ज़िन्दगी लाजवाब कर देगी।
जोड़ती जा रही है बाब मिरे ,
तू तो मुझको निसाब कर देगी।
कोई गोशा तलाशना होगा ,
वरना दुनिया ख़राब कर देगी।
ये तिरी ख़्वाब परस्ती इक दिन ,
हर हक़ीक़त सराब कर देगी।
गर कोई उसकी आरज़ू पूछे ,
वो मिरा इन्तेख़ाब कर देगी।
ये कहानी है पिछले जन्मों की ,
पल में कैसे ख़िताब कर देगी।
ये जो ग़मसाज़ सी तबीयत है ,
तुझको महव ए सराब कर देगी।
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