तेरे ज़ख़्मों को इंदेमाल करें।
आ तबीयत तिरी बहाल करें।
एक मुद्दत के बाद देखा है ,
तुझसे इक तल्ख़ सा सवाल करें।
जिसको खोने का शरफ़ हासिल है ,
उसको खोने का क्या मलाल करें।
मैं उन्हें बोलते हुए देखूं ,
वो मिरा बोलना मुहाल करें।
कौन संजीदगी से सुनता है ,
किस भरोसे पे अर्ज़ ए हाल करें।
बारहा तुझको याद आ आकर ,
तेरी ख़ल्वत में इख़्तेलाल करें।
जी में आता है एक दिन ख़ुद को ,
अपने हाथों से पायमाल करें।
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