दर्द बरबाद नहीं करते हैं।
ज़ख़्म फ़रियाद नहीं करते हैं।
जो भी होता है हुआ करता है ,
ख़ुद को नाशाद नहीं करते हैं।
अच्छा लगता है मुक़य्यद रहना ,
खुद को आज़ाद नहीं करते हैं।
हम को कहनी है कहानी दिल की ,
आप इरशाद नहीं करते हैं।
उसको भूले तो नहीं हैं लेकिन,
अब उसे याद नहीं करते हैं।
वो ज़रुरत को समझते हैं मगर ,
कोई इमदाद नहीं करते हैं।
चाहते तो हैं तराशें परबत ,
खुद को फ़रहाद नहीं करते हैं।
दश्त को पार किया जाता है ,
दश्त आबाद नहीं करते हैं।
छोड़ देते हैं कहानी को 'मनीष ',
ख़त्म रूदाद नहीं करते हैं।
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