Wednesday, 27 June 2018



ख़ुद को सारी  रात जलाया जाता है।
तब सूरज को मुंह दिखलाया जाता है।

ख़्वाब को सच्चा मान के जीना ठीक नहीं ,
ख़्वाबों से तो जी बहलाया जाता है।

फिर ताउम्र उसी का रहना पड़ता है,
कुछ दिन तक जिसका कहलाया जाता है।

उसकी रेशम रेशम नज़रों से पूछो ,
ज़ख़्मों को कैसे सहलाया जाता है।

उसकी तपती साँसों को मालूम है ये ,
कैसे हर लोहा पिघलाया जाता है।

मेरे बारे में इतना मत सोचा कर  ,
फूल सा ये चेहरा कुम्हलाया जाता है।

दीवानों पर तंज़ नहीं करते लोगों।,
दीवानों को होश में लाया जाता है।






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