Thursday 28 June 2018



गुज़ारी उम्र पियाला ओ  मय बनाने में।
फिर आग हमने लगा दी शराबख़ाने में.

ख़ुद आपने आप को हम देख ही नहीं पाए ,
हमारा ध्यान लगा ही रहा ज़माने में।

सब अपने आप को ढूँढा किये बहर सूरत ,
हम अपना आप सुनाते रहे फ़साने में।

तुम्हारी  याद सताएगी उम्र भर हमको ,
ज़रा सा वक़्त लगेगा तुम्हें भुलाने में।

यूँ एक पल में ज़मींदोज़ मत करो हमको ,
हज़ारों  साल  लगे हैं  हमें  बसाने  में।

ख़ुद अपने आप के कितना क़रीब आ पहुंचे ,
हम अपने आप को तेरे क़रीब लाने में।

हमारी तिशनादहानी  का कारनामा है ,
लगी हैं ओस की बूँदें नदी बनाने में।

बहुत तवील था क़िस्सा गुनाह ए अव्वल का ,
सो एक उम्र लगा दी तुम्हें सुनाने में।

हमारी बात में कुछ दिलफ़िगार शिकवे हैं,
वगरना उज्र नहीं था तुम्हें बताने में।

सजाने।  बिताने। बताने

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