Saturday 1 October 2011

ishq ke dard ka chara akhir kiske bas mei'n hota hai

इश्क़ के दर्द का चारा आख़िर किसके बस में होता है.
जो पहले दिल में होता था अब नस नस में  होता  है .,

उड़ने   के  अरमान   सभी  के  पूरे  कब  हो  पाते  हैं.
उड़ने  का  अरमान  अगरचे  हर  बेकस  में  होता है.,

चाँद सितारों पर रहने की ख्वाहिश अच्छी है लेकिन.
चाँद  सितारों  पर रह  पाना  किसके बस  में होता है.,

एक   इरादा  कर  के  घर  से  चलने   में  है   दानाई.
लोगों  का  नुक़सान  हमेशा  पेश  ओ  पस  में होता है.,

रिश्तों की बुनियाद कहाँ हिलती है फिर अफ़वाहों से.
पुखता  पाएदार   भरोसा  जब  आपस  में  होता   है.,

प्यार की पहली बारिश में भी है बिलकुल वैसा जादू.
जैसा  जादू  भीनी  भीनी  मुश्क   ए  खस  में होता है.,

मेरे  जैसा  लोहा   आख़िर  सोने  में  तब्दील   हुआ.
तुझमे  शायद वो  सब कुछ  है  जो पारस में  होता है.,

उस से  बातें  करने  में  सब  खौफ़  हवा  हो  जाते हैं.
किस दरजा पुरजोर दिलासा इक ढाढस   में होता है.,
मनीष शुक्ल 

11 comments:

  1. आपकी ग़ज़ल पढकर जौन एलिया साब का ये शे'र याद हो आया !

    अब जुनूँ कब किसी के बस मे है,
    उसकी खुश्बू नफस नफस मे है !!

    क्या है गर ज़िन्दगी का बस न चला,
    ज़िन्दगी कब किसी के बस मे है!!

    अच्छी ग़ज़ल के लिये ढेरो बधाई सर......

    अर्श

    ReplyDelete
  2. bahut bahut shukria arsh sahab

    ReplyDelete
  3. एक इरादा कर के घर से चलने में है दानाई.
    लोगों का नुक़सान हमेशा पेश ओ पस में होता है.,

    रिश्तों की बुनियाद कहाँ हिलती है फिर अफ़वाहों से.
    पुखता पाएदार भरोसा जब आपस में होता है.,

    प्यार की पहली बारिश में भी है बिलकुल वैसा जादू.
    जैसा जादू भीनी भीनी मुश्क़ ए खस में होता है.,
    इन खूबसूरत अशार के खालिक जनाब मनीष शुक्ल जी को मेरा सलाम .....खूबसूरत ग़ज़ल बिलकुल आपकी तरह .....अल्लाह करे जोर कलम और ज़्यादा

    ReplyDelete
  4. bahut bahut shukria hadi bhai,itni khoobsoorat tareef ka shukria ada karne ke liye hamare pas alfaz nahi'n hai'n,thanks...

    ReplyDelete
  5. मनीश जी
    में नहीं जानता कि आ पहले प्यार का मतलब क्या समझतें है


    प्यार की पहली बारिश में भी है बिलकुल वैसा जादू.
    जैसा जादू भीनी भीनी मुश्क़ ए खस में होता है.,


    मैं आपके ब्लााग का पहला फालेावर हूं इस नाते म्ं इसे पहला प्यार ही मानता हूं बाकी आप जानें
    सटीक ग़ज़ल आभार कृपया
    टिपप््णी से माडरेषन हटायें अटपटा लगता हैं
    कृपया मुझे भी आर्शिवाद दे ! आभारी रहूँगा !!

    ReplyDelete
  6. रिश्तों की बुनियाद कहाँ हिलती है फिर अफ़वाहों से.
    पुखता पाएदार भरोसा जब आपस में होता है

    Sachmuch rishton ki buniyad vishwas par tiki hai.

    ReplyDelete
  7. मेरे जैसा लोहा आख़िर सोने में तब्दील हुआ.
    तुझमे शायद वो सब कुछ है जो पारस में होता है.,

    उस से बातें करने में सब खौफ़ हवा हो जाते हैं.
    किस दरजा पुरजोर दिलासा इक ढाढस में होता है.,
    बहुत खूबसूरत अंदाज़ आपके सब के सब अश आर आपके .शुक्रिया .

    ReplyDelete
  8. shukria ashok ji,gopal ji aur veenus bhai aapki zarranawazio'n ka

    ReplyDelete
  9. shukria ashok ji,gopal ji aur veenus bhai aapki zarranawazio'n ka

    ReplyDelete