गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं।
तनावर जिस्म गाड़े जा रहे हैं।
यक़ीनन कोई वीराना सजेगा,
घरौंदे फिर उजाड़े जा रहे हैं।
तुम्हें बदनाम हम होने न देंगे.
हर इक तहरीर फाड़े जा रहे हैं,
बहुत रोओगे हमको याद करके.
तुम्हें इतना बिगाड़े जा रहे हैं,
खिजां की उम्र भी आने को है अब.
चले आओ कि जाड़े जा रहे हैं,
मनीष शुक्ल
बहुत रोओगे हमको याद करके.
ReplyDeleteतुम्हें इतना बिगाड़े जा रहे हैं
:)
shukria arvind ji
ReplyDeleteDilo'n ko choomta, rangee'n taraana kyu bhla laye,
ReplyDeletemuhabbat ektarfa aj humko ho gyi tumse.
Apki krati ko mera naman. Sir.