जीने की तैय्यारी छोड़.
यार मिरे हुश्यारी छोड़,
सीधे अपनी बात पे आ.
ये लहजा दरबारी छोड़,
या दुनिया का खौफ़ हटा.
या फिर हमसे यारी छोड़,
चेहरा गुम हो जायेगा.
ख़ुद से ये अय्यारी छोड़,
दीवानों से हाथ मिला.
प्यारे दुनियादारी छोड़,
लौट के घर भी जाना है.
मनसब तख़्त सवारी छोड़,
मनीष शुक्ल
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