हमें कुछ गर्दिश ए अय्याम से शिकवा नहीं है
मगर ये भी हकीकत है कि जी अच्छा नहीं है,
बहुत अच्छा हुआ एहसास अब मरने लगे हैं
हज़ारों ज़ख्म हैं लेकिन कोई दुखता नहीं है,
भला किसको दिखाएं जा के दिल के आबले हम
सभी जल्दी में हैं कोई ज़रा रुकता नहीं है,
सभी ने तल्खियों की गर्द इस चेहरे पे मल दी
और उसपर ये शिकायत भी कि अब हँसता नहीं है,
न परियां हैं, न शहज़ादा न लम्बी नींद इसमें
हमारी आपबीती है कोई क़िस्सा नहीं है,
अबस शहर ए बयाबां में ये बातें छेड़ बैठे
यहाँ दिल की कहानी अब कोई सुनता नहीं है,
बहुत ही जानलेवा है ये हस्ती का मुअम्मा
निकल जाने का भी लेकिन कोई रस्ता नहीं है,
सुना करते थे रो रोकर गुज़र जाती हैं रातें
मगर इस रात का कोई सिरा दिखता नहीं है,
मनीष शुक्ल
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Sep 5 (23 hours ago)

manish:
दिल का सारा दर्द भरा तस्वीरों में
एक मुसव्विर नक़्श हुआ तस्वीरों में
चंद लकीरें तो इस दर्जा गहरी थीं
देखने वाला डूब गया तस्वीरों में
एक अजब सा जादू बिखरा रंगों का
सबको अपना अक्स दिखा तस्वीरों में
एक पुराने ज़ख़्म के टाँके टूट गए
एक पुराना दर्द मिला तस्वीरों में
भूली बिसरी यादों के मंज़र चमके
माज़ी का इक बाब खुला तस्वीरों में
हर चेहरे के पीछे सौ चेहरे उभरे
सबका पर्दा फ़ाश हुआ तस्वीरों में
वक़्त कहाँ मुट्ठी में आने वाला था
लेकिन हमने बांध लिया तस्वीरों में
बात ज़बां पर लाने की पाबन्दी थी
हमने सब कुछ दर्ज किया तस्वीरों में
देख सकेगा कौन बनाने वाले को
सबका सारा ध्यान लगा तस्वीरों में
मनीष शुक्ल
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