Friday 16 September 2011

jeene ki yaiyyari chhod



जीने  की   तैय्यारी  छोड़.

यार  मिरे   हुश्यारी  छोड़,


सीधे अपनी  बात  पे आ,

ये  लहजा  दरबारी  छोड़।


या दुनिया का  खौफ़ हटा.

 या  फिर हमसे यारी छोड़। 


 चेहरा   गुम  हो   जायेगा,

ख़ुद  से ये  अय्यारी छोड़।


दीवानों  से   हाथ  मिला,

प्यारे  दुनियादारी   छोड़। 


लौट  के घर  भी जाना है,

मनसब तख़्त सवारी छोड़। 


अपने  दिल   से   पूछ   ज़रा,

चल  तू  बात  हमारी    छोड़। 

मनीष शुक्ल 

3 comments:

  1. अरे वाह मनीष जी, आपको ब्‍लॉग जगत में सक्रिय देखकर बहुत अच्‍छा लगा। बहुत बहुत बधाई।

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    मिल गयी दूसरी धरती?
    आसमान में छेद हो गया....

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  2. मनीष जी, शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।

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